
एप्पल बैर को फल मक्खी से बचाव के लिए फ्रूट फ्लाई ट्रैप सबसे बढ़िया विकल्प है. इसे अपनाने से किसानों को कीटों से राहत मिलेगी और अच्छी कमाई की गारंटी भी मिलेगी.
क्या है यह ट्रैप?
देश बड़े फल वैज्ञानिक डॉक्टर एसके सिंह के मुताबिक ट्रैप बांधने की अवस्था फल पकने से 60 दिन से पहले होना चाहिए और 6 से 10 सप्ताह के अंतराल पर सुगंध बदलते रहना चाहिए. इसे रसायनों से भी प्रबंधित किया जा सकता है, लेकिन फल के ऊपर रसायनों का प्रयोग करने से बचा जाना चाहिए. बाग को साफ सुथरा रख कर भी इस मक्खी की उग्रता में कमी लाया जा सकता है. फल मक्खी से आक्रांत फल को एकत्र करके बाग से बाहर ले जाकर नष्ट कर देना चाहिए.
कैसे काम करता है यह ट्रैप?
ट्रैप एक साधारण मेल एनीहिलेशन तकनीक पर काम करता है. ट्रैप में एक छोटा प्लास्टिक कंटेनर होता है, जिसमें प्लाईवुड का एक टुकड़ा होता है जिसे Methyl Eugenol और Dichlorovos से उपचारित किया जाता है और पेड़ पर लटका दिया जाता है. यह जाल नर फल मक्खी को आकर्षित करता है. नर की अनुपस्थिति में मादा प्रजनन करने में विफल हो जाती हैं और इसलिए फल संक्रमण से मुक्त हो जाएगा. ट्रैप लगाने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है. इससे मित्र कीटों को भी कोई नुकसान नहीं है. इस तकनीक को अपनाने से देखा गया है कि होने वाले नुकसान में काफी कमी आई है.
जमीन के नींचे भी दबा सकते हैं
निरंतर जमीन पर गिरे हुए फल मक्खी से संक्रमित फलों को इकट्ठा करें और उन्हें 60 सेंटीमीटर गहरे गड्ढों में गाड़ कर दफन कर दें या खौलते पानी में इन आक्रांत फलों को डाल के फल मक्खी के पिल्लू को मार डालें.
उपयोग विधि:
फसल के उपरी भाग से 2-3 फीट ऊंचाई पर लाठी / बांस की सहायता से ट्रैप लगाना होता है।
खेत की सीमा से 5 मीटर की दूरी पर ट्रैप लगाना होगा। दो ट्रैप के बीच की दूरी 10 मीटर होनी चाहिए।
ट्रैप को 40-50 दिन के अन्तराल में बदलना चाहिए।
ट्रैप से समय-समय पर फंसे कीड़ों को निकाल दें व उन्हें जमीन में दबा दें।
प्रयोग:
कीट निगरानी के लिए 5 ट्रैप प्रति एकड़ प्रयोग करें।
बड़े पैमाने पर पकड़ने के लिए 15 ट्रैप प्रति एकड़ का प्रयोग करें।
सावधानियाँ-
ट्रैप की पैकिंग खोलने के तुरंत बाद ट्रैप का प्रयोग करें।
ट्रैप को प्रयोग करने के बाद पाउच को नष्ट कर दें।
ट्रैप का प्रयोग करते समय दस्ताने का प्रयोग अवश्य करें।